
अश्वगंधा की खेती कैसे की जाती है, अश्वगंधा की खेती से करोडपति कैसे बने
अश्वगंधा को भारतीय जिनसेग के नाम से जाना जाता है
अश्वगंधा भारत के हिमालय पहाड़ के तटो में 1000 मीटर की उचाई तक पाई जाती हैं
अश्वगंधा की खेती राजस्थान , पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश , गुजरात, महाराष्ट्र , गुजरात आदि में की जाती है
अश्वगंधा सदवहार पोधा है
इसकी पतिया गोल ओर पतली होती है
इसके फूल हरे वह हल्के पीले रंग के होते हैं
इसके फूल जुलाई से सितम्बर माह में आते हैं
ओर अश्वगंधा के फल दिसम्बर माह में आते हैं
इसके फल पकने के बाद नारंगी लाल रंग के हो जाते हैं
इसके बीज पिले रग के होते है
अश्वगंधा की किस्मे
1. WS – 20
2. WS – 134
3. जवाहर अश्वगंधा – 134
4. राज विजय अश्वगंधा -100
5. WS-90-130
6. नागोरी
7. WSR
8. पोशिता
9. रक्षिता
जड़ो की श्रेणी
1. सर्वोत्तम या ए श्रेणी वाली जड़
इसकी लंबाई 7 से.मी. होती है
इसकी मोटाई / व्यास 1 से 1.5 से.मी. होता है ओर भरी हुईं चमकदार वह पूरी तरह सफेद होती है
इसका छिलका पतला होता है
इसमे स्टार्च ज्यादा वह एलकेलोयड (दवाई में काम आने वाला पार्ट ) कम होता है
2. उत्तम या बी श्रेणी वाली जड़े
इसकी लंबाई 5 से.मी. होती है
इसका व्यास 1 से.मी. होता है
ठोस चमकदार व सफेद जड़ें होती है
इसमे स्टार्च ओर एलकेलोयड बराबर मात्रा में होता है
3. मधयम या सी श्रेणी वाली जड़े
इसकी लम्बाई 3 से 4 से.मी. होती है
इसका व्यास 1 से.मी. से कम होती है
इसकी ठोस सरचना वाली जड़े होती है
इसने स्टार्च कम और एलकेलोयड आदिक होता है
4. डी श्रेणि की जड़े
ये निम्न स्तर की जड़े होती है
इसकी मोटाई 3 mm होती है
कटी फ़टी जड़े होती है
कम ठोस होती है
जलवायु व मिट्टी
यह खरीफ की फसल है
इसके लिए गर्म वह शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है
इसके लिए 20℃ से 35℃ तापमान उचित है
इसकी व्रद्धि के लिए मोसम शुष्क ओर मिट्टी में नमी होनी चाहिए
इसके लिए बलुई दोमत या हल्की लाल मिट्टी का उपयोग किया जाता है
ऐसी मिट्टी जहाँ पानी का निकास अच्छा हो जिसमे पानी ना रूके
मिट्टी का PH मान 7.5 से 8 अच्छा रहता है
अश्वगंधा के खेत की तैयारी कैसे करे
खेत तो सबसे पहले 2-3 बार अच्छी तरह जुताई कर ले
फिर इसमें पाटा लगाकर समतल कर दे
ओर इसमे छोटी छोटी क्यारी बना ले
फिर सूखे खेत मे अश्वगंधा के बीज का छिड़काव करना है
छिड़काव से पहले बीजो को 24 घण्टे के लिए ठंडे पानी मे भिगो दें
तथा उसे छिड़काव विधि द्वारा तैयार बीजो को सीधे खेत मे बो दिया जाता है
ओर हल्की मिटी से ढक दिया जाता है
अश्वगंधा को क्यारी में भी बोया जाता है जिसकी दूरी 5 सेंटीमीटर रखी जाती है
ऊपर से पानी देना है जिस दिन बीज का छिड़काव किया
दूसरी सिचाईं 5 से 7 दिन के अन्तराल पर कर देनी चाहिए
दुसरी सिचाईं करने के बाद 5 से 7 दिन के अंतराल पर बीज अकुंरण नजर आने लग जाएगा
उसके बाद 20 दिन के हिसाब से सिचाईं करते रहना चाहिए
कुल सिचाईं 4 से 5 प्राप्त होगी उसके बाद सिचाईं रोक दे
अश्वगंधा की खेती की जानकारी
अश्वगंधा की बुवाई के लिए बीज की मात्रा 10 से 12 किलो प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए
अश्वगंधा के पोधे की कतार से कतार से दूरी 30 से.मी. ओर पोधे से पौधे की दूरी 15 से.मी. होनी चाहिए
इसमे 5 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर छिड़काव दे
अश्वगंधा खेती का समय
इसकी बुवाई बरसात के मोसम में ओर ठण्ड के मौसम में कर सकते हैं
इनकी अच्छी पैदावार लेनी के लिए ठण्ड के मोसम में बुवाई करनी चाहिए
बरसात के दिनो में फसल खराब होने का डर रहता है इसकी जड़ें बरसात ज्यादा आने पर गल जाती है
इसके लिए 660 से 750 मिमी वर्षा अनुकूल है
अश्वगंधा की ठंड के मौसम में बुवाई करने का समय अक्टूबर से नवम्बर तक है
इसके फूल
अश्वगंधा की खेती कैसे की जाती है, अश्वगंधा की खेती से करोडपति कैसे बने
अश्वगंधा की खेती में रोग ओर नियंत्रण
1. तनाछेदक
2. माइट
3. बिजसडन / पति सडन
4. अंगमारी
5. झुलसा रोग
माइट रोग के नियंत्रण के लिए नीम की पतियो को उबालकर उसके पानी का छिड़काव करने से किट मर जाता है
तना छेदक के नियंत्रण के लिए 25 ग्राम नीम की पति 50 लीटर पानी मे उबाले
जब पानी 20 से 25 लीटर रह जाये जब इसे ठंडा कर ले
ओर आवश्यक अनुसार किट पतंगे मछर जैसे रोग आने पर 1 किलो निम के पानी मे 15 लीटर सादा पानी मिलाकर छिड़काव करें
बिजसडन / पति सडन एक पोधे अंगमारी के नियंत्रण के लिए बुवाई से पहले बीज को डायथेन m – 45 से उपचारित कर ले
डायथेन m – 45 कवक नाशी दवा होती है
अगर बीज उपचार नही किया है तो 1 माह के बाद डायथेन m – 45 का छिड़काव कर दे
छिड़काव करने के लिए डायथेन m – 45 3 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से ले
अश्वगंधा की खेती से कमाई
इसकी उपज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से ताजा जड़े 5 से 6 क्विटल निकलती है
ओर इसमे बीज 6 से 7 क्विटल निकलता है
अश्वगंधा के फायदे – Ashwagandha Ke Fayde
इसकी सुखी जड़ो से आयुर्वेदिक व यूनानी दवाइया बनाई जाती है
जिसको नीद नही आती वे अश्वगंधा का उपयोग करते है तो उसे नीद आने लग जाती हैं
अश्वगंधा के उपयोग से तनाव मुकत होता है
अश्वगंधा के उपयोग से ब्लड सुगर कम होता है जिसका अधिक होता है
अश्वगंधा के उपयोग से थकान मुकत होता है
अश्वगंधा के उपयोग से आयरन को बढ़ा देता है
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निष्कर्ष
दोस्तो आज हमने आपको बताया कि आप अश्वगंधा की खेती कैसे कर सकते हो ओर इस खेती से आप किस तरह से लाखों रुपये कमा सकते होअश्वगंधा की खेती कैसे की जाती है, अश्वगंधा की खेती से करोडपति कैसे बने
दोस्तो अश्वगंधा की खेती करने के लिए आपको बताया की इसमे कोन कोन सी किसमे होती है इसके अलावा हमने बताया कि इसे कितनी श्रेणि में बांटा गया है
दोस्तो इसके अलावा हमने आपको इसकी मिटी के बारे में जानकारी दी है कि आप इसे कौनसी मिटी मो लगा सकते हो वह कौनसी मिट्टी अधिक उपजाऊ होती हैअश्वगंधा की खेती कैसे की जाती है, अश्वगंधा की खेती से करोडपति कैसे बने
अश्वगंधा की खेती करने का समय भी बताया अगर आप भी खेती करना चाहते है तो आपके लिए खेती का सही समय दिया हूवा है। इसके अलावा बताया कि आप अश्वगंधा की खेती किस तरह कर सकते हो जिससे आप बड़ी आसानी से अच्छी उपज प्राप्त कर सको। अश्वगंधा की खेती कैसे की जाती है, अश्वगंधा की खेती से करोडपति कैसे बने
दोस्तो अश्वगंधा की खेती में देखभाल के लिए भी बताया है और इसमे लगने वाली बीमारी वह उससे बचने का तरीका भी बताया है इसके अलावा भी हमने अश्वगंधा की खेती से जुड़ी जानकारी दी है जैसे कि इसके क्या क्या फायदे है आदि। अश्वगंधा की खेती कैसे की जाती है, अश्वगंधा की खेती से करोडपति कैसे बने
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