हल्दी की खेती कैसे की जाती है,Haldi ki Kheti Kaise Kare

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हल्दी की खेती कैसे की जाती है,Haldi ki Kheti Kaise Kare

किसान भाइयो अगर हम हल्दी की बात करे तो हल्दी भारतीय व्यजन में प्रयोग की जाने वाली गुणकारी ओषधी है जिनका रोजाना सेवन हम हमारी डाइट में करते हैं हल्दी का प्रयोग देशी दवाइयों में भी किया जाता है इस कारण हल्दी की मांग वर्ष भर बनी रहती है जिसके कारण दिन प्रतिदिन हल्दी की कीमतों में बढ़ोतरी होती रहती है जिससे आप भी हल्दी की खेती से लाखों की कमाई कर सकते हैं  अगर आप भी हल्दी की खेती करना चाहते हैं  तो आपको कुछ हल्दी की खेती के बारे में जानकारी होना आवश्यक है 

हल्दी की खेती कहाँ कहाँ होती है जाने

किसान भाइयों हल्दी की खेती विश्व  मे भारत और चीन में सबसे ज्यादा होती है, अब तो हल्दी की खेती  पाकिस्तान, श्री लंका, इंडोनेशिया,  में भी होने लग गई है। 

भारत मे हल्दी की खेती आंध्रप्रदेश , ओडिसा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात, उतर प्रदेश, बिहार, मेघालय, ओर असम में होती है।

अंगूर की खेती कैसे की जाती है जाने

हल्दी की विशेषताएं

  1. हल्दी का पीला रंग कुर्कुमिन केम्ब कारण होता है 
  2. हल्दी का तेल वाष्पशील ( उड़ने वाला) होता है 
  3. हल्दी ऊर्जा का स्रोत है 
  4. हल्दी में 13.1% पानी पाया जाता है 
  5. हल्दी में 6.3 % प्रोटीन होता है
  6. हल्दी में 5.1% वसा होती हैं 
  7. 69.4% कार्बोहाइड्रेट होता है 
  8. 2.6% रेशे होते हैं 
  9. 1.3 से 5.5 वाष्पशील तेल होता है 

हल्दी की खेती की जानकारी | Haldi ki Jankari

जलवायु 

हल्दी की खेती के लिए उष्ण कटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है ( गर्म वह  आद्र जलवायु उतम है)

तापमान 

अंकुरण के लिए 30 से 35 डिग्री  तापमान की आवश्यकता होती है, कल्ले (पत्ते) निकलते समय 25  से 35 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।

राइजोम ( प्रकन्द/ जड़ ) बनते समय   20 से 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती हैं, हल्दी की मोटाई बढ़ाते समय 18 से 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।

मिट्टी

हल्दी की खेती के लिए सबसे अच्छी दोमत मिट्टी होती है, जल निकासी  अच्छी होनी चाहिए और मिट्टी का PH मान 5 से 7.5 तक होता है।

हल्दी की उनत किस्मे | Haldi ki Unnat Kisme

1. कम समय मे पकने वाली

कस्तूरी, सुरोमा, सुवर्णी, आदि किस्मे है जो 6 से 7 माह में तैयार हो जाती है  इसकी गांठे सुगधित होती है 

2. मध्यम समय मे पकने वाली

ये किस्म केसरी वर्ग से ही है जैसे केसरी, कोठापेटा, आमरुथा, रोमा आदि किस्मे है जो 7 से 8 माह में तैयार हो जाती है।

3. लम्बे समय मे पकने वाली किस्म 

दुगिराला, तेकुर पेट, मिदकुर, अरमूर आदि ये किस्मे 8 से 9 माह में तैयार हो जाती है 

कुछ अन्य किस्मे 

राजेन्द्र सोनिया, सुगधम, मेघा, हल्दी-1

CL326  माईडुकूर

यह 9 माह में तैयार होने वाली अच्छी किस्म है 

यह लम्बे पंजे वाली होती है 

इसका उत्पादन 200 से 300 क्विटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाता है 

CL 327 ठेकुरपेण्ट

यह किस्म 5 माह में तैयार हो जाती है।  

इसके पंजे लंबे होते हैं

इसका उत्पादन 200 आए 250 क्विटल प्रति हेक्टेयर होता है। 

इसके 22% सुखी हल्दी प्राप्त हो जाती है 

कस्तूरी

यह कम समय मे तैयार होने वाली किस्म है 

यह किस्म 7 माह में पककर तैयार हो जाती है 

इसका उत्पादन 150 से 200 क्विटल प्रति हेक्टेयर  होता है।  

इसके 25% सुखी हल्दी प्राप्त होती है 

पीताम्बर यह राजेन्द्र क्रषि विश्व विद्यालय से निकली है 

रोमा यह लगभग 250 दिन में तैयार हो जाती है 

इसकी उपज लगभग 207 क्विटल प्रति हेक्टेयर होता है 

सुरमा यह 250 दिन में तैयार हो जाती है 

इसकी उपज लगभग 290 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है 

सोनाली यह किस्म लगभग 230 दिन में पककर तैयार हो जाती है 

इसकी उपज लगभग 270 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है

हल्दी की रोपाई का समय वह बीजदर

हल्दी की रोपाई अप्रैल के दूसरे सप्ताह  से जून तक कर सकते है

ओर हल्दी की खेती के लिए मातृ कद 10 क्विटल प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है 

अगर नये कद है तो 8 क्विटल प्रति एकड़ आवश्यकता पड़ती है 

हल्दी की खेती के लिए खेत की  तैयारी

 सबसे पहले खेत में 2 से 3 बार कल्टीवेटर से जुताई करे   

 उसके बाद खेत में गोबर की खाद या जैविक खाद डाले उसके बाद एक बार फिर से कल्टीवेटर से जुताई करे 

 जिससे खाद मिट्टी में अच्छी तरह नीचे तक मिल जाये

 उसके बाद खेत मे पाटा लगाकर खेत को समतल कर दे। 

उसके बाद हम हल्दी की बुवाई 2 विधि से कर सकते हैं  

1. हल्दी की बुवाई हम छोटी छोटी क्यारी बना कर सकते हैं 

2. उसके अलावा हम बेड बनाकर भी कर सकते हैं जिससे पानी से सडन की समस्या नही रहेगी। और कद बनने के लिए मिट्टी भी मुलायम रहेगी

हल्दी की बुवाई विधि | haldi ki buvai kaise kare

किसान भाइयों जब भी आप खेत मे कद लगाए उसे पहले फगी साइड से उपचार करे जिससे कन्द सडन की बीमारी नही होती

फगी साइड से उपचारित करने के लिए डाईथेन M-45 के 0.3% से उपचारित करे 

उसके बाद ही कन्द की रोपाई करे

रोपाई करने ले लिए कतार से कतार की दूरी 40 सेमी.

ओर बीज से बीज की दूरी 15 सेमी.

हल्दी की बुवाई के बाद हल्की सिचाईं कर दे।  ओर इसे पुआल/ पराली से ढक दे। जिससे मिट्टी में नमी बनी रहेगी और धूप से बीज खराब नही होगा

हल्दी की खेती सिचाई

हल्दी  की  खेती  में 10  से 12  दिन में  हल्की   सिचाईं   की आवश्यकता पड़ती है 

अगर समय समय पर बारिस होती रहे हो सिचाईं की आवश्यकता नही पड़ती हल्दी की खेती में नमी बने रहना आवश्यक है 

अगर बारिश ज्यादा हो जाये तो खेत से पानी बाहर निकाल दे खेत मे पानी रुके नही।  खेत मे पानी रुकने से  कन्द सडन की समस्या आ सकती है 

खरप्तवार

हल्दी की खेती में समय समय पर निराई गुडाई करना बहुत आवश्यक है इसलिए इसकी पहली निराई गुडाई 25 से 30 दिनों पर करे

ओर दूसरी निराई गुडाई 55 से 60 दिन पर करे

तीसरी निराई गुडाई 80 से 90 दिन पर करे 

निराई गुड़ाई के बाद पोधो की जड़ो में हल्की मिट्टी लगा दे

जिससे कन्दो का विकास अच्छा हो जाता है 

ओर 110 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से खेत मे छिडकाव करे 

हल्दी की खेती में रोग नियंत्रण

किसान भाइयों हल्दी की बढ़वार की अवस्था आने पर हल्दी में कई प्रकार के रोग लग जाते हैं।  जिस पर समय पर नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है। अगर इन रोगों पर समय पर नियंत्रण नही किया जाए तो फसल उत्पादन में भारी गिरावट आती है और बाजार मूल्य भी सही नही मिलता इसके बचाव के लिए रोगों पर नियंत्रण करना आवश्यक है 

मानसुन के मौसम में रोगों का प्रकोप ज्यादा देखने को मिलता है 

1. राइजोम रोट

इस रोग से पोधो की पतिया सूखने लग जाती है। जिससे कंद सडन लगती है।  जो पोधा इस रोग से ग्रसित है वह आसानी से उखड़ जाता है 

रोग ग्रसित पोधो को उखाड़ के नष्ट कर दे।  ओर जो शेष पौधे है उनके बचाव के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 3 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करे

या इसकी बुवाई से पहले ही बीजो को उवचरित करे। जिससे काभी हद तक रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है 

2. पति धब्बा रोग 

पतियो पर धब्बा बन जाता है छोटे छोटे धब्बे आपस मे मिलकर बड़े बन जाते है 

3. पर्ण चिति रोग

पतिया पीली पड़ने लग जाती है 

पति धब्बा रोग  ओर पर्ण चिति रोग से पोधो में भोजन बनने की शक्ति को कम कर देती है 

इन दोनों रोगों के बचाव के लिए कार्बेंडाजिम 2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करे

कन्द को जमीन से निकालना

हल्दी की खेती को पकने में 6 से 9 माह का समय लगता है हल्दी के पते  भुर भूरे हो जाये जब समज जाए कि हल्दी पककर तैयार हो गई है हल्दी की कटाई से 15 से 20 दिन पहले पानी देना बंद कर दे जिससे कन्द खराब नही होंगे तथा जो हल्दी का पोधा हरा खड़ा है वह भी पककर भुर भूरा हो जाये उसके बाद आप कन्द की खुदाई कर सकते हैं 

हल्दी की खुदाई के बाद  बाजार योग्य बनाना

जब हल्दी की खुदाई हो जाती है तब सबसे पहले पानी से धोकर हल्दी की साफ सफाई की जाती है जिसमे मुख्य गांठ से छोटी छोटी गांठो को अलग कर लिया जाता है।  जो मुख्य गांठ है उसे अगली फसल के लिये बीज के रूप में तैयार की जा सकती है 

इसकी साफ सफाई के  बाद हल्दी  को उबालने की प्रकिया शुरू जो जाती है जहाँ कुछ लोग पानी मे उबालते है जिससे काभी समय लगता है उसके बाद सूखने में भी 7 से 8 दिन का समय लग जाता है 

स्टीम वोइलर में/ स्टीम कुकर 

इसके अलावा स्टीम कुकर में हल्दी को उबाला जाता है इसमे यह कार्य जल्दी वह आसान हो जाता है 

ओर हल्दी की गुणवत्ता अच्छी बनी रहती है वह 3 से 4 दिन में सुख जाती है 

जब हल्दी सुख जाती है तब दिखने में बिलकुल भी अच्छी नही दिखती

लेकिन जब ऊपर का छिलका उतार लिया जाता है जब हल्दी अच्छी चमक वाली दिखने लग जाती है 

हल्दी कहा बेचे

अगर आपको हल्दी से अच्छी इनकम प्राप्त करनी है तो आप अपने क्षेत्र में ऐसे व्यापारियों को देखे जो हल्दी खरीदते हो जिसे आप उन्हें उसकी आवश्यकता अनुसार 1 या 2 क्विटल जितनी जरूरत ह बेच देगे हल्दी की हर क्षेत्र में आवश्यकता पड़ती है जिस कारण हल्दी के व्यापारी या होलसेलर आसानी से मिल जायेगे

इसके अलावा आप हल्दी को पीसकर भी बेच सकते हैं जिससे ज्यादा इनकम प्राप्त होगी  पिसी हल्दी को आप राशन की दुकान पर ओर बड़े बड़े होटल में बेच सकते हैं 

शुरू शुरू में हल्दी का बिजनस करने के लिए आपको हर राशन की दुकान पर जाकर हल्दी का सेपल देंने होंगे जिससे आपको परमानेंट ग्राहीक बन जाये

हल्दी का उपयोग | haldi ka upyog

हल्दी का उपयोग मसाला बनाने में , ओषधी में , रग रोगन में , दवाइया बनाने में , कुमकुम बनाने में, सौन्दर्य प्रसार में किया जाता है

हल्दी के फायदे | haldi ke fayde

1. हल्दी पाचक के रूप में उपयोगी है 

2. पितरस के स्त्राव को बढ़ाती है 

3.  पेट मे गेस बनना कम करती है

4.  कर्मी हारक है ( कीड़े मारने वाली है)

5.   हल्दी का काढ़ा सर्दी जुखाम खासी गले की सभी बीमारी में लबफायक है 

6. रक्त सोधक में काम आता है 

7. चोट लगने पर हल्दी को दूध में मिलाकर पिया जाता है 

8. हल्दी से कुमकुम बनती है हल्दी + सान्द्र स्लप्यूरिक अम्ल  को मिलाने से लाल रंग में बदल जायेगा

9. मसाले के रूप में उपयोगी है इसका कोई साइड इफेक्ट नही है 

10. मुह की चमक और रग दोनों अछे हो जाते हैं 

11. सूर्य के प्रकाश से त्वचा में जलन होती है तो वह हल्दी लगाकर बाहर निकले

12.  केसर की बीमारी दूर हो जाती है 

13.  लिवर की समस्या में लाभदायक है 

14.  हल्दी के सेवन से नीद अच्छी आती है 

नॉट- 1. अगर कोई प्रेग्नेंसी हैं तो वह दाल सब्जी के अलावा हल्दी का उपयोग ना करे

2. एनीमिया से ग्रहसित  हो तो हल्दी का एक्स्ट्रा  उपयोग ना करे 

3. हीमोफीलिया, हार्ट में हल्दी का सेवन ना करे 

इन मे आप सिर्फ दाल सब्जी वाली हल्दी का उपयोग कर सकते हैं उसके अलावा हल्दी का उपयोग नही करना

हल्दी की खेती कैसे की जाती है,Haldi ki Kheti Kaise Kare

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निष्कर्ष – 

नमस्कार दोस्तो, आज के इस आर्टिक्ल के अंदर हमने आपके साथ में हल्दी की खेती कैसे की जाती है इससे जुड़ी  जानकारी शेयर की है। अगर आप भी हल्दी के खेती करना चाहते है तो आपको हल्दी की खेती के लिए जमीन तैयार कैसे करें, कौनसी जलवायु हल्दी की खेती के लिए बढ़िया रहती है और कौनसे बीज का इस्तेमाल करना चाहिए इसके बारे में यहाँ सारी जानकारी मिल जाएगी। 

इसके अलावा भी आपको किसी प्रकार की हल्दी की खेती से जुड़ी अन्य जानकारी चाहिए तो आप हमसे कमेंट में पूछ सकते है। हल्दी की खेती कैसे की जाती है,Haldi ki Kheti Kaise Kare

मैं खुद किसान परिवार से हूँ और मैंने देखा की इंटरनेट पर किसानो की सहायता करने वाली कोई भी हिन्दी वैबसाइट नहीं है इसलिए मैं किसानों की सहायता के लिए इस वैबसाइट पर बहुत रिसर्च करके जानकारी लाता हूँ तो आपका भी एक फर्ज बनता है की आप अपने Social Media जैसे Facebook, WhatsApp पर शेयर करें। हल्दी की खेती कैसे की जाती है,Haldi ki Kheti Kaise Kare

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